कर्मवीर डॉ बृजमोहन भारद्वाज और डॉ माधुरी भारद्वाज कौन बनेगा करोड़पति

डॉ बृजमोहन भारद्वाज और डॉ माधुरी भारद्वाज कौन बनेगा करोड़पति शो के स्पेशल एपिसोड कर्मवीर में आ रहे हैं। कौन बनेगा करोड़पति 11 भारतीय टेलीविजन पर सबसे अधिक देखे जाने वाले और मनोरंजक रियलिटी टीवी शो में से एक है। यह न केवल आपका मनोरंजन करता है, बल्कि यह आपके सामान्य ज्ञान को भी बढ़ाता है। मेजबान अमिताभ बच्चन कई बॉलीवुड हस्तियों के साथ विभिन्न व्यक्तियों के साथ प्रेरक कहानियों का स्वागत करते हैं जिन्हें दर्शकों के सामने लाने की आवश्यकता है।

डॉ बृजमोहन और उनकी पत्नी डॉ माधुरी भारद्वाज दोनों लोग मिलकर बेसहारा लोगों के लिए भगवान है। डॉ बृजमोहन और माधुरी दोनों किसी भी कारण से सड़कों पर घूम रहे लोगों का पुनर्वास का सराहनीय है काम करते हैं।

डॉ बृजमोहन और उनकी पत्नी डॉ माधुरी भारद्वाज

केबीसी से ट्विटर अकाउंट से शेयर किये गए वीडियो में अमिताभ बच्चन जी उनके बारे में कह रहे हैं-

“जिस प्रकार हम एक खराब टीवी को घर से बाहर निकाल देतें है, उसी प्रकार कुछ लोग बेसहारा हो चुके इंसान को घर से बाहर निकाल देते हैं। हजारों जिंदगियां जिन्हें कभी धक्के मारकर, कभी धोखे से तो कभी प्रताड़ित करके घर से निकाल देतें हैं, उनकी जिंदगी यूँ ही धूप में, खुले आसमान के नीचे भूख प्यास से तड़पते हुये गुजर जाती अगर डॉ बृजमोहन भारद्वाज और डॉ माधुरी भारद्वाज ने इन्हें न अपनाया होता “

अमिताभ बच्चन, डॉ बृजमोहन और उनकी पत्नी डॉ माधुरी के लिए कौन बनेगा करोड़पति में
करमवीर डॉ बृजमोहन भारद्वाज और डॉ माधुरी भारद्वाज

बहुत सारे बेघर और निराश्रित लोंगो का प्यार से देखभाल और आश्रय देने का मानवीय कार्य कर रहे डॉ बृजमोहन और डॉ माधुरी भारद्वाज को कौन बनेगा करोड़पति के स्पेशल एपिसोड में बुलाकर केबीसी उनका कार्य पूरे भारत को बताने का कार्य कर रहा है, जिससे और भी लोगों को प्रेरणा मिलेगी।

डॉ बृजमोहन भारद्वाज जीवन परिचय :-

डॉ बृजमोहन भारद्वाज एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं जिन्होंने अपनी पत्नी के साथ मां माधुरी बृज वारिस सेवा सदन और अपना घर की स्थापना की, आज इनके पूरे भारत में कुुुल 21 आश्रम हैं, जिसमे 4000 से अधिक लोगों की सेवा की जा रही है।

बृजमोहन भारद्वाज का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के खैर शहर में सहरोई गाँव में हुआ था। बचपन मे ही बृजमोहन भारद्वाज स्कूल में रहते हुए, वह अक्सर गरीबी, पीड़ा, भुखमरी जैसी स्थितियों पर सोचा करते थे, और बाद में अलीगढ़ से अपनी स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने उसके लिए कार्य करके दिखाया।

जब वह अपनी शिक्षा ले रहे थे, तभी वह माधुरी भारद्वाज जी से मिले जो उस समय अलीगढ़ के एक स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ रही थी। माधुरी और मोहन भारद्वाज दोनों स्कूल जाने के लिए बस से सफर करते थे। दोनों लोग उसी समय ही भविष्य में असहाय लोगों की कैसे मदद की जाए के विषय में चर्चा करते थे। दोनों के विचारों में काफी समानता थी। दोनों ने साथ मे आगे चलकर लोगों के लिए कुछ अच्छा करने की ठानी।

डॉ बृजमोहन और डॉ माधुरी भारद्वाज ने अपनी पहली मुलाकात के आठ साल बाद, उन्होंने जीवन साथी बनने का फैसला किया और 1993 में शादी कर ली। वे अपनी सारी ऊर्जा बीमारों, बेघरों, गरीबों और बेसहारा लोगों पर लगाना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने अपने बच्चे ना करने का फैसला किया।

बृजमोहन और माधुरी भारद्वाज दोनों ने डॉक्टर की डिग्री हासिल की और सड़कों से बेसहारा और बीमार लोगों को अपने घरों में आश्रय देना शुरू कर दिया।

चिरंजी बाबा की मृत्यु से बचपन में बृजमोहन भारद्वाज को बहुत दुःख हुआ :-

जब बृजमोहन भारद्वाज पाँच साल के थे, तो उनके गाँव सरोई में ‘चिरंजी बाबा‘ नाम के एक बाबा की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु पर बृजमोहन भारद्वाज को बहुत पीड़ा हुई। चिरंजी बाबा 85 साल के थे, जिनका कोई और सहारा नही था। जिन्होंने अपना दिन ग्रामीणों के लिए एक चरवाहे के रूप में बिताया।

चिरंजी बाबा ने कभी शादी नहीं की थी और गाँव में अकेले रहते थे। हालांकि, जब चिरंजी बाबा बीमार हुए, तो कोई भी उनकी मदद करने नहीं आया और आखिरकार, उनकी मृत्यु हो गई। घटना को याद करते हुए बृजमोहन भारद्वाज कहते हैं

ऐसा नहीं है कि कोई उनकी मदद नहीं करना चाहता था। सबने किया। लेकिन वे जिम्मेदारी लेने से पीछे हट गए, डर गए । अगर कोई ज़िम्मेदारी लेता है तो लोग उसकी मदद करेंगे और दूसरों को दिखाएंगे कि वे कैसे मदद कर सकते हैं।

बृजमोहन भारद्वाज चिरंजीवी बाबा की मदद करने के लिए उस समय बहुत छोटे थे, लेकिन इस घटना ने भारद्वाज के दिमाग में एक छाप छोड़ दी, और इसने उन्हें बीमारों की मदद करने और उनके जीवन को बचाने और कार्य करने में सक्षम होने के लिए प्रेरित किया।

माँ माधुरी बृज वारिस सेवा सदन, अपना घर की स्थापना की :-

अपनी शादी के सात साल बाद, डॉ बृजमोहन भारद्वाज और डॉ माधुरी भारद्वाज  ने 29 जून, 2000 को राजस्थान के भरतपुर में माधुरी के 27 वें जन्मदिन पर ‘माँ माधुरी बृज वारिस सेवा सदन, अपना घर’ की स्थापना की। अपना घर बेघर और बेसहारा, बीमार और खोए लोगों के लिए घर बन गया जो सार्वजनिक स्थानों पर भटकते पाए जाते हैं।

आज राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत पूरे भारत में उनके कुल 21 आश्रम हैं, जहाँ बीमार और बेघर लोगों को आश्रय प्रदान किया है। अपना घर सेवा समितियों के स्वयंसेवकों ने अपना घर हेल्पलाइन भी चालू की है, जो बेघर और निराश्रितों को सेवाएं प्रदान करते हैं। राहत के लिए आश्रमों में ले जाने के लिए 30 से अधिक एम्बुलेंस दिन-रात काम करती हैं।

अधिकांश आश्रम सार्वजनिक तौर पर चलते हैं, कोटा और अजमेर में आश्रम आंशिक रूप से राजस्थान सरकार द्वारा समर्थित हैं। संगठन अपने आश्रमों को सुचारू रूप से चलाने के लिए क्राउडफंडिंग अभियान भी चलाता है।


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