Poem on Republic day in Hindi. गणतंत्र दिवस पर कविता

इस पोस्ट में हम आपके लिए भारत के गणतंत्र दिवस यानी कि 26 जनवरी के लिए हिंदी में कविता (Poem on Republic day in Hindi) ले कर आये हैं।

यहाँ आपको गणतंत्र दिवस में कई तरह की हिंदी कविता मिलेंगी जिनको आप 26 जनवरी की बधाई देने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

गणतंत्र दिवस पर बाल कविता

यह गणतंत्र दिवस के लिए बाल कविता है। इस गणतंत्र दिवस की बाल कविता का उपयोग छोटी कक्षा के बच्चे अपने गणतंत्र दिवस के भाषण में कर सकते हैं।

गणतंत्र दिवस की कविता से आप अपने भाषण और गणतंत्र दिवस के निबंध को और आकर्षक बना सकते हैं।

गणतंत्र दिवस पर बाल कविता (Child Poem on Republic Day in Hindi)

माह जनवरी छब्बीस को
हम सब गणतंत्र मनाते
और तिरंगे को फहरा कर,
गीत ख़ुशी के गाते ॥

संविधान आजादी वाला,
बच्चो ! इस दिन आया।
इसने दुनिया में भारत को,
नव गणतंत्र बनाया॥

क्या करना है और क्या नहीं ?
संविधान बतलाता।
भारत में रहने वालों का,
इससे गहरा नाता॥

26 जनवरी पर कविता 2019

इस 26 जनवरी यानी कि गणतंत्र दिवस को आप गणतंत्र दिवस की कविता के माध्यम से शुभकामना दे सकते हैं।

republic day poem in hindi for school students

रिपब्लिक डे पोयम इन हिंदी स्कूल स्टूडेंट्स के लिए यहाँ दी गयी है, जिसे आप अपने 26 जनवरी के भाषण में शामिल कर सकते हैं। गणतंत्र दिवस की यह कविता गणतंत्र दिवस के निबंध में भी जोड़ी जा सकती है।

आओ तिरंगा लहराये।
आओ तिरंगा फहराये॥

अपना गणतंत्र दिवस है आया।
झूमे, नाचे, खुशी मनाये॥

अपना गणतंत्र दिवस,
खुशी से मनाएंगे।
देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर,
श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे॥

26 जनवरी 1950 को,
अपना गणतंत्र लागू हुआ था।
भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ . राजेन्द्र प्रसाद ने झंडा फहराया था।
मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,
थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति,
भारत के भी थे हितैषी।
था वो ऐतिहासिक पल हमारा,
जिससे गौरवान्वित था भारत सारा॥

विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है।
पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है॥

इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,
थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये,

आओ तिरंगा लहराये,
आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतंत्र दिवस है आया,
झूमे, नाचे, खुशी मनाये॥

26 जनवरी पर कविता 2020 (Poem on 26 january in Hindi)

देखो 26 जनवरी आयी
देखो 26 जनवरी है आयी,
गणतंत्र की सौगात है लायी।

अधिकार दिये हैं इसने अनमोल,
जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।

हर साल 26 जनवरी को लाल किले पर,
होता है, वार्षिक आयोजन।

जब प्रधानमंत्री का भाषन,
नयी उम्मीद और नये पैगाम से,
करते है देश का अभिभादन।

अमर जवान ज्योति,
इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,
2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।

सौगातो की सौगात है,
गणतंत्र हमारा महान है।

आकार में विशाल है,
हर सवाल का जवाब है।

संविधान इसका संचालक है,
हम सब का वो पालक है।

लोकतंत्र जिसकी पहचान है,
हम सबकी ये शान है।

गणतंत्र हमारा महान है,
गणतंत्र हमारा महान है।

रिपब्लिक डे पोएम इन हिंदी

यदि आप केवल गणतंत्र दिवस की कविता के माध्यम से गणतंत्र दिवस पर सुभकामना संदेश या गणतंत्र दिवस पर कुछ विचार प्रस्तुत करना चाहते हैं, तो गणतंत्र की यह कविता आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

Long Poem on Republic Day in Hindi

हम गणतंत्र भारत के निवासी,
करते अपनी मनमानी।
दुनिया की कोई फिक्र नहीं,
संविधान है करता पहरेदारी।

है इतिहास इसका बहुत पुराना,
संघर्षों का था वो जमाना,
न थी कुछ करने की आजादी,
चारों तरफ हो रही थी बस देश की बर्बादी,
एक तरफ विदेशी हमलों की मार,
दूसरी तरफ दे रहे थे कुछ अपने ही अपनो को घात,

पर आजादी के परवानों ने हार नहीं मानी थी,
विदेशियों से देश को आजाद कराने की जिद्द ठानी थी,
एक के एक बाद किये विदेशी शासकों पर घात,
छोड़ दी अपनी जान की परवाह,
बस आजाद होने की थी आखिरी आस।

1857 की क्रान्ति आजादी के संघर्ष की पहली कहानी थी,
जो मेरठ, कानपुर, बरेली, झांसी,
दिल्ली और अवध में लगी चिंगारी थी,
जिसकी नायिका झांसी की रानी आजादी की दिवानी थी,
देश भक्ति के रंग में रंगी वो एक मस्तानी थी,

जिसने देश हित के लिये स्वंय को बलिदान करने की ठानी थी,
उसके साहस और संगठन के नेतृत्व ने अंग्रेजों की नींद उड़ायी थी,
हरा दिया उसे षडयंत्र रचकर,
कूटनीति का भंयकर जाल बुनकर,
मर गयी वो पर मरकर भी अमर हो गयी,

अपने बलिदान के बाद भी अंग्रेजों में खौफ छोड़ गयी,
उसकी शहादत ने हजारों देशवासियों को नींद से उठाया था,
अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक नयी सेना के निर्माण को बढ़ाया था,
फिर तो शुरु हो गया अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष का सिलसिला,

एक के बाद एक बनता गया वीरों का काफिला,
वो वीर मौत के खौफ से न भय खाते थे,
अंग्रेजों को सीधे मैदान में धूल चटाते थे,
ईट का जवाब पत्थर से देना उनको आता था,

अंग्रेजों के बुने हुये जाल में उन्हीं को फसाना बखूबी आता था,
खोल दिया अंग्रेजों से संघर्ष का दो तरफा मोर्चा,
1885 में कर डाली कांग्रेस की स्थापना,
लाला लाजपत राय,
तिलक और विपिन चन्द्र पाल,
घोष, बोस जैसे अध्यक्षों ने की जिसकी अध्यक्षता,
इन देशभक्तों ने अपनी चतुराई से अंग्रेजों को राजनीति में उलझाया था,

उन्हीं के दाव-पेचों से अपनी मांगों को मनवाया था,
सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग को गाँधी ने अपनाया था,
कांग्रेस के माध्यम से ही उन्होंने जन समर्थन जुटाया था,
दूसरी तरफ क्रान्तिकारियों ने भी अपना मोर्चा लगाया था,

बिस्मिल, अशफाक, आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे, क्रान्तिकारियों से देशवासियों का परिचय कराया था,
अपना सर्वस्व इन्होंने देश पर लुटाया था,
तब जाकर 1947 में हमने आजादी को पाया था,
एक बहुत बड़ी कीमत चुकायी है हमने इस आजादी की खातिर,

न जाने कितने वीरों ने जान गवाई थी देश प्रेम की खातिर,
निभा गये वो अपना फर्ज देकर अपनी जाने,
निभाये हम भी अपना फर्ज आओ आजादी को पहचाने,
देश प्रेम में डूबे वो,
न हिन्दू, न मुस्लिम थे,
वो भारत के वासी भारत माँ के बेटे थे,
उन्हीं की तरह देश की शरहद पर हरेक सैनिक अपना फर्ज निभाता है,

कर्तव्य के रास्ते पर खुद को शहीद कर जाता है,
आओ हम भी देश के सभ्य नागरिक बने,
हिन्दू मुस्लिम, सब छोड़कर, मिलजुलकर आगे बढ़े,
जातिवाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद,
ये देश में फैली बुराई है,
जिन्हें किसी और ने नहीं देश के नेताओं ने फैलाई है अपनी कमियों को छिपाने को देश को भ्रमाया है,
जातिवाद के चक्र में हम सब को उलझाया है,
अभी समय है इस भ्रम को तोड़ जाने का,

सबकुछ छोड़ भारतीय बन देश विकास को करने का,
यदि फसे रहे जातिवाद में,
तो पिछड़कर रह जायेंगे संसार में,
अभी समय है उठ जाओं वरना पछताते रह जाओगें,
समय निकल जाने पर हाथ मलते रह जाओगे,
भेदभाव को पीछे छोड़ सब हिन्दुस्तानी बन जाये,
इस गणतंत्र दिवस पर मिलजुलकर तिरंगा लहराये।


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