भारत में लोकसभा चुनावों का इतिहास

भारत के सत्रहवीं लोकसभा चुनावों (Loksabha Election) के होने की संभावना अप्रैल और मई में है । इस साल चुनाव आयोग लोकसभा चुनावों के साथ साथ कुछ प्रदेशों में विधानसभा चुनाव भी करवा सकता है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की मांग करते रहे है, जो कि अभी संभव नही दिख रहा है पर कुछ प्रदेशों जैसे कि आंध्रप्रदेश, अरुणांचल प्रदेश, उड़ीसा, सिक्किम और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव 2019 के साथ हो सकते हैं।

जानिए लोकसभा चुनाव 2019 के मुख्य मुद्दे क्या हैं

1. बेरोजगारी

भारत में बेरोजगारी कोई नया मुद्दा नही है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से देश को बहुत उम्मीदें थी जिसको मोदी सरकार पूरी तरीके से पूरा नही कर पाई है । नेशनल सैम्पल सर्वे आर्गेनाईजेशन (राष्ट्रीय पतिदर्श सर्वेक्षण) (NSSO) जो कि भारत सरकार के सांख्यकी मंत्रालय के अधीन आता है जो कि भारत का आर्थिक सर्वेक्षण करने वाली एक संस्था है की रिपोर्ट के अनुसार भारत मे बेरोजगारी इस समय बहुत ज्यादा है । रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2017-2018 में बेरोजगारी 6.1 प्रतिशत थी । हालांकि नीति आयोग ने इसके बारे में कहा है कि यह डेटा अभी वैरिफाई नही किया गया है।

2. राम मंदिर

2019 के चुनावों में राम मंदिर भी एक बड़ा मुद्दा है । भारतीय जनता पार्टी हमेशा से राम मंदिर का समर्थन करती आई है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रचार के दौरान राम मंदिर का मुद्दा हल करने की बात कहो थी। और अब विपक्ष भी सरकार को मंदिर के मुद्दे में घेरने लगी है। मंदिर के मुद्दे का प्रभाव 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पड़ेगा। विपक्ष हमेशा भाजपा पर मंदिर मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगता रहा है।

3. किसानों की समस्या

भारत में सरकार चाहे कोई भी रहो हो पर किसानों की समस्या का समाधान अभी तक कोई नहीं कर पाया है। इस सरकार में भी किसानों द्वारा आत्महत्या होती रही है।हालांकि इस सरकार ने किसानों और गरीबो की समस्या के समाधान के बहुत सारी योजना लायी है। किसान हमेशा ही अपने फसल की उचित दाम न मिलने की शिकायत करते रहे हैं।

हाल ही में अभी सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना (PM – KISAN scheme) की घोषणा की है। पीएम किसान योजना में गरीब किसानों को हर वर्ष 6000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी जो कि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी। भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 5650 किसानों ने 2014 में आत्महत्या की थी। बबर्ट एक कृषि प्रधान देश है भारत की लगभग 70% जनसंख्या किसी न किसी तरीके से कृषि पर निर्भर है। भारत मे वर्ष 2004 में सबसे ज्यादा 18,241 किसानों ने आत्महत्या की।

4. नागरिकता संशोधन विधेयक

यह बिल लोकसभा (Loksabha) में जुलाई 2016 में पेश किया गया था। इस बिल को नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव के लिए लाया गया था। इस बिल को पास करने में सरकार को बहुत विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यदि यह बिल पास हो जाता है तो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले अवैध प्रवासियों हिन्दू, सिख, बुद्धिस्ट, जैन ,पारसी और ईसाईयों को भारत की नागरिकता दी जा सकती है।

निर्वाचन प्रणाली

लोकसभा चुनावों (Loksabha Election) में कुल सीटों की संख्या 543 है । किसी भी पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने के लिए कम से कम 272 सांसदों का समर्थन चाहिए। कोई भी व्यक्ति जिसके पास मतदाता पहचान पत्र है और उसकी उम्र 18 वर्ष या उससे ज्यादा है अपना सांसद को चुनने के लिए वोट कर सकता है। 543 सीटों के अलावा भारत के राष्ट्रपति 2 आंग्ल-भारतीय (एंग्लो-इंडियन) सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं।

लोकसभा (Loksabha) की राज्य और केंद्र शासित प्रदेश द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची

राज्य /केंद्र शासित प्रदेश लोक सभा सीट्स
उत्तर प्रदेश 80
महाराष्ट्र48
पश्चिम बंगाल42
बिहार40
तमिलनाडु39
मध्यप्रदेश29
कर्नाटक28
गुजरात26
आन्ध्र प्रदेश25
राजस्थान25
उड़ीसा21
केरल20
तेलंगाना17
असम14
झारखंड14
पंजाब13
छत्तीसगढ़11
हरियाणा10
दिल्ली7
जम्मू कश्मीर6
उत्तराखंड5
हिमाचल प्रदेश4
अरुणांचल प्रदेश2
गोआ2
मणिपुर2
मेघालय2
त्रिपुरा2
अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह1
चंडीगढ़1
दादर और नगर हवेली1
दमन और द्वीप1
लक्षद्वीप1
मिज़ोरम1
नागालैंड1
पुडुचेरी
1
सिक्किम1

लोकसभा चुनावों (Loksabha Election) का इतिहास

भारत की संविधान सभा

भारत की संविधान सभा का चुनाव भारत के संविधान को लिखने के लिए किया गया था। संविधान सभा की पहली बार कल्पना भारत के आजाद होने के बहुत पहले ही 1935 में एम एन राय ने की थी

16 मई 1946 में पहली बार संविधान सभा के लिये चुनाव हुए थे । इस संविधान सभा की कुल सदस्यता 389 थी जिसमे से 292 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, और 93 सदस्य रियासतों का और बाकी चार सदस्य कूर्ग, अजमेर, दिल्ली, मेरवाड़ा और ब्रिटिश बलूचिस्तान के प्रान्तों से थे।

1946 तक ब्रिटिश भारतीय प्रांतो की 297 सीटों के चुनाव जो गए थे , जिसमे कांग्रेस ने 208 सीटें जीती और मुस्लिम लीग ने 73 । इस चुनाव के बाद मुस्लिम लीग ने भारत के मुसलमानों के लिए अलग जगह की मांग की और कांग्रेस का साथ देने से मन कर दिया । इसके भारत में कई दंगे भी हुए।

3 जून 1947 को भारत के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन ने कैबिनेट मिशन के समापन की घोषणा की और इसका समापन भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम1 1947 और भारत और पाकिस्तान दो अलग अलग राष्ट्रों के रूप में हुआ।

पहली लोकसभा(1952-1957)

1952 में भारत की पहली लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) हुए। इस लोकसभा में 489 सीटों में चुनाव हुए। इस पहली लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में 17 करोड़ 30 लाख वोटर थे। इस लोकसभा चुनावों में इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी(INC) ने 364 सीटों जीतकर पहले नम्बर पर थी। इंडियन नेशनल कांग्रेस को कुल वोटों का 45% वोट मिले थे। इस लोकसभा चुनावों ने सीपीआई को 16 सीट और सोशलिस्ट पार्टी को 12 सीट मिली थी। भारतीय जन संघ (BJS) को केवल 3 सीटें मिली थी। बाकी बची सभी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। इस लोकसभा चुनाव में जवाहरलाल नेहरु को प्रधानमंत्री चुना गया था।

दूसरी लोकसभा (1957-1962)

दूसरी लोकसभा चुनावों (Loksabha Election) में कुल 494 सीटों के लिए मतदान हुए। इस लोकसभा में भी इंडियन नेशनल कांग्रेस को सबसे ज्यादा 371 सीटों में जीत मिली और एक बार फिर जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री चुना गया। इंडियन नेशनल कांग्रेस को इस लोकसभा चुनावों में सभी वोटों का 48% वोट मिले। इस लोकसभा में सीपीआई को 27 सीट और प्रजा सोशलिस्ट  पार्टी को 19 सीट मिली। भारतीय जन संघ को  इस लोकसभा चुनावों में केवल 4 सीटें मिली। बाकी बची सीटों में सभी निर्दलीय उम्मीदवार जीत के आये। इस लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नही था।

तीसरी लोकसभा(1962-1967)

इस लोकसभा चुनावों (Loksabha Election) में कुल 494 सीटों पर मतदान हुए।इस लोकसभा (Loksabha) में इंडियन नेशनल कांग्रेस के कुल वोट 48% से घटकर 45% राह गये। इस लोकसभा में इंडियन नेशनल कांग्रेस को 361 सीटें मिली और पंडित जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री चुना गया। 1964 में जवाहरलाल नेहरु के निधन के बाद गुलज़ारीलाल नन्दा को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री जी को प्रधानमंत्री बनाया गया। 19 महीने ही सरकार चलाने के बाद 1996 लाल बहादुर शास्त्री जी निधन हो गया तब इंदिरा गांधी जी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया।

चौथी लोकसभा(1967-1970)

इस लोकसभा चुनावों (Loksabha Election) में 520 सीटों में इंडियन नेशनल कांग्रेस को 283 सीटों में जीत मिली और लगातार चौथी बार कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही। इस लोकसभा में इंदिरा गांधी दूसरी बार भारत की प्रधानमंत्री बनी। इन चुनावों में कांग्रेस को कुल वोट का 41% वोट मिले और कुल 6 पार्टियां 10 सीट से ज्यादा सीट जीतने में सफल रही। सी राजगोपाल चारी  की स्वतंत्रता पार्टी ने 44 सीटों में जीत दर्ज की।

पाँचवी (lokasabha) लोकसभा (1971-1977)

1969 में इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच विभाजन हो गया था। 31 सांसद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस( संगठन) के रुप मे अलग हो गए इसके बाउजूद भी इंदिरा गांधी की पार्टी 518 सीटों में से 252 जितने में सफल रही और एक बार फिर भारत की प्रधानमंत्री बनी।

INC(O), संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (SSP), प्रजा सोशलिस्ट पार्टी(PSP), स्वतंत्रता पार्टी और भारतिय जन संघ(BJS) ने चुनाव पूर्व गठबंधन करके चुनाव लड़ा था।
12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव को रद्द कर दिया। और इसके बाद इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा का दी जो कि 1977 तक लगी रही।

छठवीं (loksabha) लोकसभा (1977-1979)

यह आपातकाल के बाद पहला लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) था इस चुनाव में इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने का नुकसान उठाना पड़ा। इस लोकसभा चुनाव में 542 सीटों में चुनाव हुए।
कांग्रेस(आर्गेनाईजेशन), जन संघ, भारतीय लोकदल और सोशलिस्ट पार्टी ने इस चुनावों में एक साथ चुनाव लड़ा जिसका नाम जनता दल रखा गया।

चुनाव में जनता दल को 542 में से 295 सीट मिली जब कि कांग्रेस को केवल 154 सीट मिली। मोरारजी देसाई भारत के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने। लेकिन 28 जुलाई 1979 को कुछ पार्टियों के विरोध के कारण मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा और चरण सिंह प्रधानमंत्री बने।

सातवीं (loksabha) लोकसभा (1980-1984)

सातवीं लोकसभा (Loksabha Election) में एक बार फिर इंदिरा गांधी जी ने वापिसी की और 529 लोकसभा सीटों में से 553 सीटों में जीत दर्ज की। इस लोकसभा में कोई भी प्रतिपक्ष का नेता नही चुना गया। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने।

आठवीं (loksabha) लोकसभा(1984-1989)

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी ने पार्टी की कमान संभाली।इंदिरा जी हत्या का उनको पूरी सहानुभूति मिली और कांग्रेस ने 514 सीट में से 404 सीटों में जीत दर्ज की। राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने । इस लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में भारतीय जनता पार्टी को केवल 2 सीट ही मिली।

नौंवी (loksabha) लोकसभा(1989-1991)

इस लोकसभा चुनावों (Loksabha Election) में पहली बार ऐसा हुआ कि किसी भी पार्टी को बहुमत नही मिला। इस चुनाव में कांग्रेस को बोफोर्स घोटाले और LTTE मुद्दों से काफी नुकसान हुआ, और उसकी 529 सीटों में  केवल 197 सीटें ही आयी। जनता दल को 143 सीटें और बीजेपी को 85 सीटें मिली। बीजेपी ने बाहर से ही जनता दल को समर्थन दिया और विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) प्रधानमंत्री बने। लेकिन 1990 में चंद्र शेखर ने समाजवादी जनता पार्टी नाम से एक नई पार्टी बनाई और वीपी सिंह की सरकार गिराकर कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बन गए लेकिन यह ज्यादा दिन नही चला और 1991 में फिर से चुनाव कराने पड़े।

दसवीं (loksabha) लोकसभा(1991-1996)

21मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। इस लोकसभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाया गया, जो 1996 तक प्रधानमंत्री रहे।
521 सीटों में कांग्रेस को 252 सीटों में जीत मिली, बीजेपी को 121 सीटों पर और जनता दल को 63 सीटों में जीत मिली। पीवी नरसिम्हा राव पहले दक्षिण से आने वाले प्रधानमंत्री थे।

ग्यारवीं (loksabha) लोकसभा (1996-1998)

इस चुनाव में कांग्रेस को उसके ऊपर लग रहे घोटालो का नुकसान उठाना पड़ा और उसे केवल 140 सीटों पर ही जीत मिली। इस (loksabha) लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में भारतीय जनता पार्टी को 161 सीटों पर जीत मिली और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जनता दल को केवल 46 सीटें ही मिली। जब कि सभी क्षेत्रीय पार्टियों ने मिलकर कुल 129 सीटों में जीत हासिल की।

भारतीय जनता पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण सरकार बनाने के लिए बुलाया गया। अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने लेकिन 13 ही दिनों में बहुमत न हासिल कर पाने के कारण उनको इस्तीफा देना पड़ा। जनता दल ने बाकी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर युनाइटेड फ्रंट बनाया और कांग्रेस ने बाहर से उसको समर्थन दे दिया। यूनाइटेड फ्रंट ने एच डी देवगौड़ा को प्रधानमंत्री बनाया जो कि केवल 18 महीने ही प्रधानमंत्री राह सके और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। एच डी देवगौड़ा के इस्तीफे के बाद इंदर कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने पर वो भी ज्यादा दिन तक प्रधानमंत्री के पद पर नहीं रह सके।

बारहवीं (loksabha) लोकसभा(1998-1999)

इस चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी 182 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। इस चुनाव में कांग्रेस को 141 सीट मिली और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों को 101 सीट मिली । बीजेपी ने अन्य पार्टियों के साथ मिलकर नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (NDA) का गठन किया। अटल बिहारी वाजपेयी फिर एक बार प्रधानमंत्री बने। केवल 13 महीने के बाद ही AIADMK के समर्थन वापस ले लेने के बाद अटल जी की सरकार केवल एक वोट से गिर गयी । डॉ गिरिधारी गमांग जो उड़ीसा के मुख्यमंत्री और सांसद भी थे, के अटल जी के खिलाफ वोट किया जिससे अटल जी की सरकार एक वोट से गिर गयी। इसी 13 महीने के अटल जी के कार्यकाल में भारत का पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध हुआ और पोखरण परमाणु परीक्षण भी।

तेरहवीं (loksabha) लोकसभा(1999-2004)

इस (loksabha) लोकसभा में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स की 270 सीटें थी। भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में 180 सीट जीतकर नंबर एक पर रही वहीं इण्डियन नेशनल कांग्रेस 114 सीट जीतकर दूसरे नंबर पर । कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(एम) को 33 और तेलुगु देसम पार्टी को 29 सीट मिली। अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। यह किसी गैर कांग्रेसी संगठन द्वारा पूरा कार्यकाल पूरा करने वाली पहली सरकार थी।

चौदहवीं(loksabha) लोकसभा (2004-2009)

इस (loksabha) लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 145 सीटें मिली जब कि भारतीय जनता पार्टी को 138 सीट मिली। कांग्रेस ने क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायन्स (UPA) का गठन किया । कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के सोनिया गांधी के भारतीय मूल के न होने का विरोध किया जिससे सोनिया गांधी प्रधानमंत्री नही बन सकी। पिछली में वित्त मंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया।

पंद्रहवीं (loksabha) लोकसभा(2009-2014)

इस (loksabha) लोकसभा चुनावों में एक बार फिर UPA की सरकार बनी। अकेले कांग्रेस ने 206 सीटों में जीत दर्ज की। कांग्रेस को नरेगा और किसानों का कर्ज माफ करने का फायदा मिला। भारतीय जनता पार्टी को केवल 116 सीटें ही मिली जिसका नेतृत्व लाल कृष्ण आडवाणी कर रहे थे। क्षेत्रीय पार्टियों के समर्थन से एक बार फिर दूसरी बार डॉ मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना गया।

सोलहवी (loksabha) लोकसभा (2014-2019)

कांग्रेस को मोदी लहर और UPA सरकार में हुए घोटालों का खामियाजा भुगतना पड़ा। कांग्रेस पार्टी को केवल 44 सीटें ही मिली। कांग्रेस की पिछली सरकार में हुये 2G, कोयला, आदर्श, कॉमनवेल्थ गेम घोटालों से काफी नुकसान हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी को जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोसित कर दिया। भारतीय जनता पार्टी ने कुल 282 सीटों में जीत हासिल की जो 1984 के बाद किसी एक पार्टी को मिली सबसे ज्यादा सीट थीं।

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