गीता सोलहवाँ अध्याय अर्थ सहित Bhagavad Gita Chapter – 16 with Hindi and English Translation

गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

असौ मया हतः शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि ।
ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान्सुखी ॥१६-१४॥

-: हिंदी भावार्थ :-

वे सोचा करते हैं कि मैंने आज यह प्राप्त कर लिया है और अब इस मनोरथ को प्राप्त कर लूँगा। मेरे पास यह इतना धन है और फिर भी यह हो जाएगा॥13॥

-: English Meaning :-

That enemy has been slain by me and others also shall I slay. I am the Lord. I enjoy, I am successful, strong and healthy.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

आढ्योऽभिजनवानस्मि कोऽन्योऽस्ति सदृशो मया ।
यक्ष्ये दास्यामि मोदिष्य इत्यज्ञानविमोहिताः ॥१६-१५॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं बड़ा धनी और बड़े कुटुम्ब वाला हूँ। मेरे समान दूसरा कौन है? मैं यज्ञ करूँगा, दान दूँगा और आमोद-प्रमोद करूँगा। इस प्रकार अज्ञान से मोहित रहने वाले तथा अनेक प्रकार से भ्रमित चित्त वाले मोहरूप जाल से समावृत और विषयभोगों में अत्यन्त आसक्त आसुरलोग महान्‌ अपवित्र नरक में गिरते हैं॥15-16॥

-: English Meaning :-

I am rich and well-born. Who else is equal to me? I will sacrifice, I will give, I will rejoice. Thus deluded by un-wisdom.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

अनेकचित्तविभ्रान्ता मोहजालसमावृताः ।
प्रसक्ताः कामभोगेषु पतन्ति नरकेऽशुचौ ॥१६-१६॥

-: हिंदी भावार्थ :-

-: English Meaning :-

Bewildered by many a fancy, entangled in the snare of delusion, addicted to the gratification of lust, they fall into a foul hell.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

आत्मसंभाविताः स्तब्धा धनमानमदान्विताः ।
यजन्ते नामयज्ञैस्ते दम्भेनाविधिपूर्वकम् ॥१६-१७॥

-: हिंदी भावार्थ :-

वे अपने-आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले घमण्डी पुरुष धन और मान के मद से युक्त होकर केवल नाममात्र के यज्ञों द्वारा पाखण्ड से शास्त्रविधिरहित यजन करते हैं॥17॥

-: English Meaning :-

Self-honored, stubborn, filled with the pride and intoxication of wealth, they perform sacrifices in name with hypocrisy, without regard to ordinance.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

अहंकारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः ।
मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषन्तोऽभ्यसूयकाः ॥१६-१८॥

-: हिंदी भावार्थ :-

वे अहंकार, बल, घमण्ड, कामना और क्रोधादि के परायण और दूसरों की निन्दा करने वाले पुरुष अपने और दूसरों के शरीर में स्थित मुझ अन्तर्यामी से द्वेष करने वाले होते हैं॥18॥

-: English Meaning :-

Given over to egotism, power, haughtiness, lust and anger, these malicious people hate Me in their own and others’ bodies.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

तानहं द्विषतः क्रुरान् संसारेषु नराधमान् ।
क्षिपाम्यजस्रमशुभाना सुरीष्वेव योनिषु ॥१६-१९॥

-: हिंदी भावार्थ :-

उन द्वेष करने वाले पापाचारी और क्रूरकर्मी नराधमों को मैं संसार में बार-बार आसुरी योनियों में ही डालता हूँ॥19॥

-: English Meaning :-

These cruel haters, worst of men, I hurl these evil-doers for ever in the worlds into the wombs of the demons only.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

आसुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि ।
मामप्राप्यैव कौन्तेय ततो यान्त्यधमां गतिम् ॥१६-२०॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे अर्जुन! वे मूढ़ मुझको न प्राप्त होकर ही जन्म-जन्म में आसुरी योनि को प्राप्त होते हैं, फिर उससे भी अति नीच गति को ही प्राप्त होते हैं अर्थात्‌ घोर नरकों में पड़ते हैं॥20॥

-: English Meaning :-

Entering into demoniac wombs, the deluded ones, in birth after birth, without ever reaching Me, O son of Kunti, pass into a condition still lower than that.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः ।
कामः क्रोधस्तथा लोभस् तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत् ॥१६-२१॥

-: हिंदी भावार्थ :-

काम, क्रोध तथा लोभ- ये तीन प्रकार के नरक के द्वार ( सर्व अनर्थों के मूल और नरक की प्राप्ति में हेतु होने से यहाँ काम, क्रोध और लोभ को ‘नरक के द्वार’ कहा है) आत्मा का नाश करने वाले अर्थात्‌ उसको अधोगति में ले जाने वाले हैं। अतएव इन तीनों को त्याग देना चाहिए॥21॥

-: English Meaning :-

Triple is this, the gate to hell, destructive of the self; LUST, WRATH and GREED. Therefore, these three, one should abandon.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

एतैर्विमुक्तः कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नरः ।
आचरत्यात्मनः श्रेयस् ततो याति परां गतिम् ॥१६-२२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे अर्जुन! इन तीनों नरक के द्वारों से मुक्त पुरुष अपने कल्याण का आचरण करता है (अपने उद्धार के लिए भगवदाज्ञानुसार बरतना ही ‘अपने कल्याण का आचरण करना’ है), इससे वह परमगति को जाता है अर्थात्‌ मुझको प्राप्त हो जाता है॥22॥

-: English Meaning :-

A man who is released from these, the three gates to darkness, O son of Kunti, does good to the self and thereby reaches the Supreme Goal.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः ।
न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ॥१६-२३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

जो पुरुष शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न परमगति को और न सुख को ही॥23॥

-: English Meaning :-

He who, neglecting the scriptural ordinance, acts under the impulse of desire, attains not perfection, nor happiness, nor the Supreme Goal.


गीता सोलहवाँ अध्याय श्लोक –

तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि ॥१६-२४॥

-: हिंदी भावार्थ :-

इससे तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है। ऐसा जानकर तू शास्त्र विधि से नियत कर्म ही करने योग्य है॥24॥

-: English Meaning :-

Therefore, the scripture is thy authority in deciding as to what ought to be done and what ought not to be done. Now, thou ought to know and perform thy duty laid down in the scripture-law.


गीता पंद्रहवाँ अध्याय अर्थ सहित

Leave a Comment