गीता ग्यारहवां अध्याय अर्थ सहित Bhagavad Gita Chapter – 11 with Hindi and English Translation

गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

कस्माच्च ते न नमेरन्महात्मन् गरीयसे ब्रह्मणोऽप्यादिकर्त्रे ।
अनन्त देवेश जगन्निवास त्वमक्षरं सदसत्तत्परं यत् ॥११-३७॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे महात्मन्‌! ब्रह्मा के भी आदिकर्ता और सबसे बड़े आपके लिए वे कैसे नमस्कार न करें क्योंकि हे अनन्त! हे देवेश! हे जगन्निवास! जो सत्‌, असत्‌ और उनसे परे अक्षर अर्थात सच्चिदानन्दघन ब्रह्म है, वह आप ही हैं॥37॥

-: English Meaning :-

And how should they not, O Mighty Being, bow to Thee, Greater (than all else), the Primal Cause even of Brahma, O Infinite Being, O Lord of Gods, O Abode of the Universe; Thou art the Imperishable, the Being and the non-Being, That which is the Supreme.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

त्वमादिदेवः पुरुषः पुराण स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् ।
वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम त्वया ततं विश्वमनन्तरूप ॥११-३८॥

-: हिंदी भावार्थ :-

आप आदिदेव और सनातन पुरुष हैं, आप इन जगत के परम आश्रय और जानने वाले तथा जानने योग्य और परम धाम हैं। हे अनन्तरूप! आपसे यह सब जगत व्याप्त अर्थात परिपूर्ण हैं॥38॥

-: English Meaning :-

Thou art the Primal God, the Ancient Purusha; Thou art the Supreme Abode of all this, Thou art the Knower and the Knowable and the Supreme Abode. By Thee is all pervaded, O Being of infinite forms.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च ।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ॥११-३९॥

-: हिंदी भावार्थ :-

आप वायु, यमराज, अग्नि, वरुण, चन्द्रमा, प्रजा के स्वामी ब्रह्मा और ब्रह्मा के भी पिता हैं। आपके लिए हजारों बार नमस्कार! नमस्कार हो!! आपके लिए फिर भी बार-बार नमस्कार! नमस्कार!!॥39॥

-: English Meaning :-

Thou art Vayu, Yama, Agni, Varuna, the Moon, Prajapati and the Great Grand-Father. Hail! Hail to Thee! a thousand times and again and again hail! Hail to Thee!


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व ।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः ॥११-४०॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे अनन्त सामर्थ्यवाले! आपके लिए आगे से और पीछे से भी नमस्कार! हे सर्वात्मन्‌! आपके लिए सब ओर से ही नमस्कार हो, क्योंकि अनन्त पराक्रमशाली आप समस्त संसार को व्याप्त किए हुए हैं, इससे आप ही सर्वरूप हैं॥40॥

-: English Meaning :-

Hail to thee before and behind! Hail to Thee on every side! O All! Thou, infinite in power and infinite in daring, pervade all, wherefore Thou art All.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

सखेति मत्वा प्रसभं यदुक्तं हे कृष्ण हे यादव हे सखेति ।
अजानता महिमानं तवेदं मया प्रमादात्प्रणयेन वापि ॥११-४१॥

-: हिंदी भावार्थ :-

आपके इस प्रभाव को न जानते हुए, आप मेरे सखा हैं ऐसा मानकर प्रेम से अथवा प्रमाद से भी मैंने ‘हे कृष्ण!’, ‘हे यादव !’ ‘हे सखे!’ इस प्रकार जो कुछ बिना सोचे-समझे हठात्‌ कहा है और हे अच्युत! आप जो मेरे द्वारा विनोद के लिए विहार, शय्या, आसन और भोजनादि में अकेले अथवा उन सखाओं के सामने भी अपमानित किए गए हैं- वह सब अपराध अप्रमेयस्वरूप अर्थात अचिन्त्य प्रभाव वाले आपसे मैं क्षमा करवाता हूँ॥41-42॥

-: English Meaning :-

Whatever was rashly said by me from carelessness or love, addressing Thee as O Krishna, O Yadava, O friend, looking on Thee merely as a friend, ignorant of this Thy greatness – in whatever way I may have insulted Thee for fun while at play, on bed, in an assembly, or at meals, when alone, O Achyuta, or in company – that I implore Thee, Immeasurable, to forgive.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

यच्चावहासार्थमसत्कृतोऽसि विहारशय्यासनभोजनेषु ।
एकोऽथवाप्यच्युत तत्समक्षं तत्क्षामये त्वामहमप्रमेयम् ॥११-४२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

-: English Meaning :-


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

पितासि लोकस्य चराचरस्य त्वमस्य पूज्यश्च गुरुर्गरीयान् ।
न त्वत्समोऽस्त्यभ्यधिकः कुतोऽन्यो लोकत्रयेऽप्यप्रतिमप्रभाव ॥११-४३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

आप इस चराचर जगत के पिता और सबसे बड़े गुरु एवं अति पूजनीय हैं। हे अनुपम प्रभाववाले! तीनों लोकों में आपके समान भी दूसरा कोई नहीं हैं, फिर अधिक तो कैसे हो सकता है॥43॥

-: English Meaning :-

Thou art the Father of this world, moving and unmoving. Thou art to be adored by this (world), Thou the Greatest Guru; (for) Thy equal exists not; whence another, superior to Thee, in the three worlds, O Being of un-equaled greatness?


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

तस्मात्प्रणम्य प्रणिधाय कायं प्रसादये त्वामहमीशमीड्यम् ।
पितेव पुत्रस्य सखेव सख्युः प्रियः प्रियायार्हसि देव सोढुम् ॥११-४४॥

-: हिंदी भावार्थ :-

अतएव हे प्रभो! मैं शरीर को भलीभाँति चरणों में निवेदित कर, प्रणाम करके, स्तुति करने योग्य आप ईश्वर को प्रसन्न होने के लिए प्रार्थना करता हूँ। हे देव! पिता जैसे पुत्र के, सखा जैसे सखा के और पति जैसे प्रियतमा पत्नी के अपराध सहन करते हैं- वैसे ही आप भी मेरे अपराध को सहन करने योग्य हैं। ॥44॥

-: English Meaning :-

Therefore, bowing down, prostrating my body, I implore Thee, adorable Lord, to forgive. It is meet Thou should bear with me as the father with the son, as friend with friend, as the lover with the beloved.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

अदृष्टपूर्वं हृषितोऽस्मि दृष्ट्वा भयेन च प्रव्यथितं मनो मे ।
तदेव मे दर्शय देव रूपं प्रसीद देवेश जगन्निवास ॥११-४५॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं पहले न देखे हुए आपके इस आश्चर्यमय रूप को देखकर हर्षित हो रहा हूँ और मेरा मन भय से अति व्याकुल भी हो रहा है, इसलिए आप उस अपने चतुर्भुज विष्णु रूप को ही मुझे दिखलाइए। हे देवेश! हे जगन्निवास! प्रसन्न होइए॥45॥

-: English Meaning :-

I am delighted, having seen what was unseen before; and (yet) my mind is confounded with fear. Show me that form only, O God; have mercy, O God of Gods, O Abode of the Universe.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

किरीटिनं गदिनं चक्रहस्त मिच्छामि त्वां द्रष्टुमहं तथैव ।
तेनैव रूपेण चतुर्भुजेन सहस्रबाहो भव विश्वमूर्ते ॥११-४६॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं वैसे ही आपको मुकुट धारण किए हुए तथा गदा और चक्र हाथ में लिए हुए देखना चाहता हूँ। इसलिए हे विश्वस्वरूप! हे सहस्रबाहो! आप उसी चतुर्भुज रूप से प्रकट होइए॥46॥

-: English Meaning :-

I wish to see Thee as before, crowned, possessed of the club, with the discuss in the hand, in Thy former form only, having four arms, O Thousand-armed, O Universal Form.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

श्रीभगवानुवाच मया प्रसन्नेन तवार्जुनेदं रूपं परं दर्शितमात्मयोगात् ।
तेजोमयं विश्वमनन्तमाद्यं यन्मे त्वदन्येन न दृष्टपूर्वम् ॥११-४७॥

-: हिंदी भावार्थ :-

श्री भगवान बोले- हे अर्जुन! अनुग्रहपूर्वक मैंने अपनी योगशक्ति के प्रभाव से यह मेरे परम तेजोमय, सबका आदि और सीमारहित विराट् रूप तुझको दिखाया है, जिसे तेरे अतिरिक्त दूसरे किसी ने पहले नहीं देखा था॥47॥

-: English Meaning :-

The Lord says – By Me, gracious to thee, O Arjuna, this Supreme Form has been shown- by my sovereign power – full of splendor, the all, the Boundless, the Original Form of Mine, never before seen by any other than thyself.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

न वेदयज्ञाध्ययनैर्न दानै र्न च क्रियाभिर्न तपोभिरुग्रैः ।
एवंरूपः शक्य अहं नृलोके द्रष्टुं त्वदन्येन कुरुप्रवीर ॥११-४८॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे अर्जुन! मनुष्य लोक में इस प्रकार विश्व रूप वाला मैं न वेद और यज्ञों के अध्ययन से, न दान से, न क्रियाओं से और न उग्र तपों से ही तेरे अतिरिक्त दूसरे द्वारा देखा जा सकता हूँ।48॥

-: English Meaning :-

Not by study of the Vedas and of the sacrifices, nor by gifts, nor by rituals, nor by severe austerities, can I be seen in this Form in the world of man by any other than thyself, O hero of the Kurus.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

मा ते व्यथा मा च विमूढभावो दृष्ट्वा रूपं घोरमीदृङ्ममेदम् ।
व्यपेतभीः प्रीतमनाः पुनस्त्वं तदेव मे रूपमिदं प्रपश्य ॥११-४९॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मेरे इस प्रकार के इस विकराल रूप को देखकर तुझको व्याकुलता नहीं होनी चाहिए और मूढ़भाव भी नहीं होना चाहिए। तू भयरहित और प्रीतियुक्त मनवाला होकर उसी मेरे इस शंख-चक्र-गदा-पद्मयुक्त चतुर्भुज रूप को फिर देख॥49॥

-: English Meaning :-

Be not afraid nor bewildered on seeing such a terrible form of Mine as this; free from fear and cheerful at heart, do thou again see this My former form.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

सञ्जय उवाच
इत्यर्जुनं वासुदेवस्तथोक्त्वा स्वकं रूपं दर्शयामास भूयः ।
आश्वासयामास च भीतमेनं भूत्वा पुनः सौम्यवपुर्महात्मा ॥११-५०॥

-: हिंदी भावार्थ :-

संजय बोले- वासुदेव भगवान ने अर्जुन के प्रति इस प्रकार कहकर फिर वैसे ही अपने चतुर्भुज रूप को दिखाया और फिर महात्मा श्रीकृष्ण ने सौम्यमूर्ति होकर इस भयभीत अर्जुन को धीरज दिया॥50॥

-: English Meaning :-

Sanjay says – Having thus spoken to Arjuna, Vasudeva again showed His own form; and the Mighty Being, becoming gentle in form, consoled him who was terrified.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

अर्जुन उवाच
दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तव सौम्यं जनार्दन ।
इदानीमस्मि संवृत्तः सचेताः प्रकृतिं गतः ॥११-५१॥

-: हिंदी भावार्थ :-

अर्जुन बोले- हे जनार्दन! आपके इस अतिशांत मनुष्य रूप को देखकर अब मैं स्थिरचित्त हो गया हूँ और अपनी स्वाभाविक स्थिति को प्राप्त हो गया हूँ॥51॥

-: English Meaning :-

Arjun says – Having seen Thy gentle human form, O Janardana, now I have grown serene and returned to my nature.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

श्रीभगवानुवाच सुदुर्दर्शमिदं रूपं दृष्टवानसि यन्मम ।
देवा अप्यस्य रूपस्य नित्यं दर्शनकाङ्क्षिणः ॥११-५२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

श्री भगवान बोले- मेरा जो चतुर्भज रूप तुमने देखा है, वह सुदुर्दर्श है अर्थात्‌ इसके दर्शन बड़े ही दुर्लभ हैं। देवता भी सदा इस रूप के दर्शन की आकांक्षा करते रहते हैं॥52॥

-: English Meaning :-

The Lord says – Very hard to see is this Form of Mine which thou hast seen; even the Devas ever long to behold this Form.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

नाहं वेदैर्न तपसा न दानेन न चेज्यया ।
शक्य एवंविधो द्रष्टुं दृष्टवानसि मां यथा ॥११-५३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

जिस प्रकार तुमने मुझको देखा है- इस प्रकार चतुर्भुज रूप वाला मैं न वेदों से, न तप से, न दान से और न यज्ञ से ही देखा जा सकता हूँ॥53॥

-: English Meaning :-

Not by Vedas, nor by austerity, nor by gifts, nor by sacrifice, can I be seen in this Form as thou hast seen Me.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन ।
ज्ञातुं द्रष्टुं च तत्त्वेन प्रवेष्टुं च परंतप ॥११-५४॥

-: हिंदी भावार्थ :-

परन्तु हे परंतप अर्जुन! अनन्य भक्ति के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज रूपवाला मैं प्रत्यक्ष देखने के लिए, तत्व से जानने के लिए तथा प्रवेश करने के लिए अर्थात एकीभाव से प्राप्त होने के लिए भी शक्य हूँ॥54॥

-: English Meaning :-

But by un-distracted devotion can I, of this Form, be known and seen in reality and entered into, O harasser of thy foes.


गीता ग्यारहवां अध्याय श्लोक –

मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्तः सङ्गवर्जितः ।
निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव ॥११-५५॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे अर्जुन! जो पुरुष केवल मेरे ही लिए सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को करने वाला है, मेरे परायण है, मेरा भक्त है, आसक्तिरहित है और सम्पूर्ण भूतप्राणियों में वैरभाव से रहित है (सर्वत्र भगवद्बुद्धि हो जाने से उस पुरुष का अति अपराध करने वाले में भी वैरभाव नहीं होता है, फिर औरों में तो कहना ही क्या है), वह अनन्यभक्तियुक्त पुरुष मुझको ही प्राप्त होता है॥55॥

-: English Meaning :-

He who works for Me, who looks on Me as the supreme, who is devoted to Me, who is free from attachment, who is without hatred for any being, he comes to Me, O Pandava.


गीता दसवाँ अध्याय अर्थ सहित

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