गीता दसवाँ अध्याय अर्थ सहित Bhagavad Gita Chapter – 10 with Hindi and English Translation

गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः ।
इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना ॥१०-२२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं वेदों में सामवेद हूँ, देवों में इंद्र हूँ, इंद्रियों में मन हूँ और भूत प्राणियों की चेतना अर्थात्‌ जीवन-शक्ति हूँ॥22॥

-: English Meaning :-

Of the Vedas I am the Sama-Veda, I am Vasava of the Gods and of the senses I am the mind, I am the intelligence in living beings.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

रुद्राणां शंकरश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम् ।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम् ॥१०-२३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ। मैं आठ वसुओं में अग्नि हूँ और शिखरवाले पर्वतों में सुमेरु पर्वत हूँ॥23॥

-: English Meaning :-

And of the Rudras I am Sankara, of the Yakshas and Rakshasas the Lord of wealth and of the Vasus I am Agni, of the mountains I am the Meru.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम् ।
सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः ॥१०-२४॥

-: हिंदी भावार्थ :-

पुरोहितों में मुखिया बृहस्पति मुझको जान। हे पार्थ! मैं सेनापतियों में स्कंद और जलाशयों में समुद्र हूँ॥24॥

-: English Meaning :-

And of the household priests of Kings, O son of Pritha, know Me the chief one, Brihaspati; of generals I am Skanda, of lakes I am the Ocean.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम् ।
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः ॥१०-२५॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं महर्षियों में भृगु और शब्दों में एक अक्षर अर्थात्‌‌ ओंकार हूँ। सब प्रकार के यज्ञों में जपयज्ञ और स्थिर रहने वालों में हिमालय पहाड़ हूँ॥25॥

-: English Meaning :-

Of the Great Rishis I am Bhrigu; of words I am the one syllable ‘Om’; of offerings I am the offering of Japa (silent repetition), of unmoving things the Himalaya.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः ।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः ॥१०-२६॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद मुनि, गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि हूँ॥26॥

-: English Meaning :-

Of all trees (I am) the Asvattha and Narada of divine Rishis, Chitraratha of Gandharvas, the sage Kapila of the saints (Siddhas).


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्भवम् ।
ऐरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम् ॥१०-२७॥

-: हिंदी भावार्थ :-

घोड़ों में अमृत के साथ उत्पन्न होने वाला उच्चैःश्रवा नामक घोड़ा, श्रेष्ठ हाथियों में ऐरावत नामक हाथी और मनुष्यों में राजा मुझको जान॥27॥

-: English Meaning :-

Know Me among horses as Uchchaisravas, born of Amrita, of lordly elephants the Airavata and of men the king.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक् ।
प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः ॥१०-२८॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं शस्त्रों में वज्र और गौओं में कामधेनु हूँ। शास्त्रोक्त रीति से सन्तान की उत्पत्ति का हेतु कामदेव हूँ और सर्पों में सर्पराज वासुकि हूँ॥28॥

-: English Meaning :-

Of weapons I am the thunderbolt, of cows I am the Kamadhuk, I am the progenitor Kandarpa, of serpents I am Vasuki.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम् ।
पितॄणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम् ॥१०-२९॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं नागों में (नाग और सर्प ये दो प्रकार की सर्पों की ही जाति है।) शेषनाग और जलचरों का अधिपति वरुण देवता हूँ और पितरों में अर्यमा नामक पितर तथा शासन करने वालों में यमराज मैं हूँ॥29॥

-: English Meaning :-

And Ananta of snakes I am, I am Varuna of water-being and Aryaman of Pitris I am, I am Yama of controllers.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम् ।
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम् ॥१०-३०॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं दैत्यों में प्रह्लाद और गणना करने वालों का समय (क्षण, घड़ी, दिन, पक्ष, मास आदि में जो समय है वह मैं हूँ) हूँ तथा पशुओं में मृगराज सिंह और पक्षियों में गरुड़ हूँ॥30॥

-: English Meaning :-

And Prahlada am I of Diti’s progeny, of reckoners I am Time and of beasts I am the lord of beasts and Vainateya of birds.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम् ।
झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी ॥१०-३१॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं पवित्र करने वालों में वायु और शस्त्रधारियों में श्रीराम हूँ तथा मछलियों में मगर हूँ और नदियों में श्री भागीरथी गंगाजी हूँ॥31॥

-: English Meaning :-

Of purifiers I am the wind, Rama of warriors am I, of fishes I am the shark, of streams I am the Ganges.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

सर्गाणामादिरन्तश्च मध्यं चैवाहमर्जुन ।
अध्यात्मविद्या विद्यानां वादः प्रवदतामहम् ॥१०-३२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे अर्जुन! सृष्टियों का आदि और अंत तथा मध्य भी मैं ही हूँ। मैं विद्याओं में अध्यात्मविद्या अर्थात्‌ ब्रह्मविद्या और परस्पर विवाद करने वालों का तत्व-निर्णय के लिए किया जाने वाला वाद हूँ॥32॥

-: English Meaning :-

Of creations I am the beginning and the middle and also the end; of all knowledges I am the knowledge of the Self and Vada of disputants.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

अक्षराणामकारोऽस्मि द्वन्द्वः सामासिकस्य च ।
अहमेवाक्षयः कालो धाताहं विश्वतोमुखः ॥१०-३३॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं अक्षरों में अकार हूँ और समासों में द्वंद्व नामक समास हूँ। अक्षयकाल अर्थात्‌ काल का भी महाकाल तथा सब ओर मुखवाला, विराट्स्वरूप, सबका धारण-पोषण करने वाला भी मैं ही हूँ॥33॥

-: English Meaning :-

Of letters the letter ‘A’ am I and dvandva of all compounds; I am, verily, the inexhaustible Time; I am the All-faced Dispenser.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

मृत्युः सर्वहरश्चाहमुद्भ वश्च भविष्यताम् ।
कीर्तिः श्रीर्वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा ॥१०-३४॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं सबका नाश करने वाला मृत्यु और उत्पन्न होने वालों का उत्पत्ति हेतु हूँ तथा स्त्रियों में कीर्ति (कीर्ति आदि ये सात देवताओं की स्त्रियाँ और स्त्रीवाचक नाम वाले गुण भी प्रसिद्ध हैं, इसलिए दोनों प्रकार से ही भगवान की विभूतियाँ हैं), श्री, वाक्‌, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा हूँ॥34॥

-: English Meaning :-

And I am all-seizing Death and the prosperity of those who are to be prosperous; of the feminine (I am) Fame, Fortune and Speech, Memory, Intelligence, Constancy, Endurance.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् ।
मासानां मार्गशीर्षोऽह मृतूनां कुसुमाकरः ॥१०-३५॥

-: हिंदी भावार्थ :-

तथा गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम और छंदों में गायत्री छंद हूँ तथा महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में वसंत मैं हूँ॥35॥

-: English Meaning :-

Of Samans also I am the Brihat-Saman of metres Gayatri am I, of months I am Margasirsha, of seasons the flowery season.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

द्यूतं छलयतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम् ।
जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि सत्त्वं सत्त्ववतामहम् ॥१०-३६॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं छल करने वालों में जूआ और प्रभावशाली पुरुषों का प्रभाव हूँ। मैं जीतने वालों का विजय हूँ, निश्चय करने वालों का निश्चय और सात्त्विक पुरुषों का सात्त्विक भाव हूँ॥36॥

-: English Meaning :-

I am the gambling of the fraudulent, I am the splendor of the splendid, I am victory, I am effort, I am the goodness of the good.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि पाण्डवानां धनंजयः ।
मुनीनामप्यहं व्यासः कवीनामुशना कविः ॥१०-३७॥

-: हिंदी भावार्थ :-

वृष्णिवंशियों में (यादवों के अंतर्गत एक वृष्णि वंश भी था) वासुदेव अर्थात्‌ मैं स्वयं तेरा सखा, पाण्डवों में धनञ्जय अर्थात्‌ तू, मुनियों में वेदव्यास और कवियों में शुक्राचार्य कवि भी मैं ही हूँ॥37॥

-: English Meaning :-

Of the Vrishnis I am Vasudeva, of the Pandavas I am Dhananjaya and of the saints I am Vyasa, of the sages I am Usanas the sage.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक –

दण्डो दमयतामस्मि नीतिरस्मि जिगीषताम् ।
मौनं चैवास्मि गुह्यानां ज्ञानं ज्ञानवतामहम् ॥१०-३८॥

-: हिंदी भावार्थ :-

मैं दमन करने वालों का दंड अर्थात्‌ दमन करने की शक्ति हूँ, जीतने की इच्छावालों की नीति हूँ, गुप्त रखने योग्य भावों का रक्षक मौन हूँ और ज्ञानवानों का तत्त्वज्ञान मैं ही हूँ॥38॥

-: English Meaning :-

Of punishers I am the scepter, of those who seek to conquer I am the polity and of things secret I am also silence, the knowledge of knowers am I.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक – ३९

यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन ।
न तदस्ति विना यत्स्यान् मया भूतं चराचरम् ॥१०-३९॥

-: हिंदी भावार्थ :-

और हे अर्जुन! जो सब भूतों की उत्पत्ति का कारण है, वह भी मैं ही हूँ, क्योंकि ऐसा चर और अचर कोई भी भूत नहीं है, जो मुझसे रहित हो॥39॥

-: English Meaning :-

And what is the seed of all being, that also am I, O Arjuna. There is no being, whether moving or unmoving, that can exist without me.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक – ४०

नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूते र्विस्तरो मया ॥१०-४०॥

-: हिंदी भावार्थ :-

हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥40॥

-: English Meaning :-

There is no end of My heavenly Glories, O harasser of thy foes; but the details of My Glory have been declared only by way of instance.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक – ४१

यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा ।
तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंऽशसंभवम् ॥१०-४१॥

-: हिंदी भावार्थ :-

जो-जो भी विभूतियुक्त अर्थात्‌ ऐश्वर्ययुक्त, कांतियुक्त और शक्तियुक्त वस्तु है, उस-उस को तू मेरे तेज के अंश की ही अभिव्यक्ति जान॥41॥

-: English Meaning :-

Whatever being is glorious, prosperous, or strong, that know thou to be a manifestation of a part of My Splendor.


गीता दसवाँ अध्याय श्लोक – ४२

अथवा बहुनैतेन किं ज्ञातेन तवार्जुन ।
विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमे कांशेन स्थितो जगत् ॥१०-४२॥

-: हिंदी भावार्थ :-

अथवा हे अर्जुन! इस बहुत जानने से तेरा क्या प्रायोजन है। मैं इस संपूर्ण जगत्‌ को अपनी योगशक्ति के एक अंश मात्र से धारण करके स्थित हूँ॥42॥

-: English Meaning :-

But, of what avail to thee is this vast things being known, O Arjuna? I stand sustaining this whole world by one part (of Myself).


गीता दसवाँ अध्याय अर्थ सहित

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