टोबा टेकसिंह – सआदत हसन मंटो

टोबा टेकसिंह – सआदत हसन मंटो की कहानी 1947 की आजादी के दो या तीन साल बाद की गई है, जब भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने कुछ मुस्लिम, सिख और हिंदू धर्मग्रंथों का आदान-प्रदान करने का फैसला किया, और यह बिशन सिंह के इर्द-गिर्द घूमती है, जो लाहौर में एक शरण के सिख कैदी …

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टिटवाल का कुत्ता – सआदत हसन मंटो

manto in hindi (उर्दू कहानी : अनुवाद : शम्भु यादव) कई दिनों से दोनों तरफ से सिपाही अपने-अपने मोर्चे पर जमे हुए थे। दिन में इधर और उधर से दस-बारह गोलियाँ चल जातीं, जिनकी आवाज़ के साथ कोई इनसानी चीख बुलन्द नहीं होती थी। मौसम बहुत खुशनुमा था। हवा जंगली फूलों की महक में बसी …

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खोल दो – सआदत हसन मंटो

अमृतसर से स्पेशल ट्रेन दोपहर दो बजे चली और आठ घंटों के बाद मुगलपुरा पहुंची। रास्ते में कई आदमी मारे गए। अनेक जख्मी हुए और कुछ इधर-उधर भटक गए। सुबह दस बजे कैंप की ठंडी जमीन पर जब सिराजुद्दीन ने आंखें खोलीं और अपने चारों तरफ मर्दों, औरतों और बच्चों का एक उमड़ता समुद्र देखा …

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