मूल्यांकन का अर्थ, परिभाषा और महत्व || मूल्यांकन के सोपान और उद्देश्य

मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसके आधार पर हम किसी छात्र के ज्ञान का आकलन करते हैं। मूल्यांकन के द्वारा ही छात्र की किसी विषय में कमियों, उसकी किसी विषय के प्रति रूचि और उसकी प्रतिभा का आकलन किया जाता है। इस पोस्ट में हम आपको मूल्यांकन का अर्थ , मूल्यांकन की परिभाषा, मूल्यांकन के सोपान, मूल्यांकन के उद्देश्य, मूल्यांकन के महत्व की विस्तृत जानकारी देंगे।

मूल्यांकन की परिभाषा :-

क्विलिन व हन्ना के अनुसार मूल्यांकन की परिभाषा :-

’’छात्रों के व्यवहार में विद्यालय द्वारा लाए गए परिवर्तनों के विषय में प्रमाणों के संकलन और उसकी व्याख्या करने की प्रक्रिया ही मूल्यांकन है।’’

एम एन डन्डेकर के अनुसार मूल्यांकन की परिभाषा :-

’’मूल्यांकन की परिभाषा एक व्यवस्थित रूप में की जा सकती है जो इस बात को निश्चित करती है कि विद्यार्थी किस सीमा तक उद्देश्य प्राप्त करने में समर्थ रहा।’’

मूल्यांकन के उद्देश्य :-

मूल्याकन के उद्देश्य यद्यपि मापन एवं मूल्यांकन के पूर्व वर्णित संकल्पना से इनके उद्देश्य स्पष्ट हो जाते हैं, फिर भी शैक्षिक मापन तथा मूल्यांकन के प्रमुख उद्देश्यों को निम्नवत् ढ़ंग से सूचीबद्ध किया जा सकता है-

1. ज्ञान की जाँच एवं विकास की जानकारी :-

विद्यार्थी निर्धारित पाठ्यक्रम से उद्देश्यों की प्राप्ति किस सीमा तक प्राप्त कर लिए हैं, उससे उनका विकास किस सीमा तक हुआ, विकास में बाधक तत्व कौन-कौन से हैं, इत्यादि की जानकारी करना इनका प्रमुख उद्देश्य है।

2. अधिगम की प्रेरणा :-

मापन तथा मूल्यांकन द्वारा अधिगम को प्रेरित किया जाता है और पूर्व निर्धारित उद्देश्यों तक पहुँचने का प्रयास किया जाता है।

3. व्यक्तिगत भिन्नताओं की जानकारी :-

मापन व मूल्यांकन के माध्यम से छात्रों के पारस्परिक भिन्नता की जानकारी मिलती है, जिससे उनके शारीरिक, मनोवैज्ञानिक गुण-दोषों का पता चलता है।

4. निदान :-

मापन एवं मूल्यांकन का एक प्रमुख उद्देश्य है कि विद्यार्थियों के कमजोर क्षेत्रों की पहचान करके उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करता है।

5. शिक्षण की प्रभावशीलता ज्ञात करना :-

मापन तथा मूल्यांकन की सहायता से शिक्षण विधियों की प्रभावशीलता का आकलन किया जाता है।

6. पाठ्यक्रम में सुधार :-

मापन तथा मूल्यांकन का प्रमुख उद्देश्य पाठ्यक्रम की उपादेयता की जाँच करके उसकी उपयोगिता को बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम सुधार करना है।

7. चयन:-

मापन व मूल्यांकन का एक प्रमुख उद्देश्य उपयोगी पाठ्यपुस्तकों व आवश्यकता व योग्यतानुरूप विद्यार्थियों का चयन करने मे सहायता प्रदान करना है।

8. शिक्षण सहायक सामग्री की उपादेयता की जानकारी :-

मापन और मूल्यांकन की सहायता से शिक्षण सहायक सामग्री के उपादेयता की जाँच करते हुए सुधार किया जाता है।

9. वर्गीकरण :-

छात्रों को मापन तथा मूल्यांकन की सहायता से अच्छे, औसत, खराब के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

10. निर्देशन :-

मापन तथा मूल्यांकन का उद्देश्य छात्रों को व्यवसाय, शिक्षा इत्यादि के लिए निर्देशन प्रदान करना है।

11. प्रमाण-पत्र प्रदान करना :-

मापन तथा मूल्यांकन की सहायता से छात्रों को कक्षों के अध्ययनोपरांत प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाता है।

12. मानकों का निर्धारण :-

मापन व मूल्यांकन की सहायता से परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या हेतु प्रासंगिक मानकों का निर्माण किया जाता है।

मूल्यांकन के सोपान :-

मूल्यांकन प्रक्रिया के कई सोपान हैं जो निम्नलिखित हैं –

1. उद्देश्यों का निर्धारण :-

  • सामान्य उद्देश्यों का निर्धारण
  • विशिष्ट उद्देश्यों का निर्धारण

2. अधिगम क्रियाओं का आयोजन :-

  • शिक्षण बिन्दुओं का चयन
  • शिक्षण क्रियाओं द्वारा उपयुक्त अधिगम अनुभव उत्पन्न करना
  • व्यवहार परिवर्तन

3. मूल्यांकन :-

  • अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन के जाँच हेतु उपयुक्त मापक उपकरणों का चयन
  • मापक उपकरणों का प्रशासन तथा अंकन
  • प्राप्तांको का विश्लेषण व व्याख्या
  • प्राप्त परिणामों का अनुप्रयोग
  • पृष्ठ पोषण तथा उपचारात्मक कार्यक्रम
  • उपयुक्त अभिलेख तथा आख्या

मूल्याकन का महत्व :-

  1. मूल्यांकन अर्थात् मूल्य का अंकन करना। मूल्यांकन मूल्य निर्धारण की एक प्रक्रिया है। शिक्षा प्रक्रिया से सम्बन्धित विभिन्न व्यक्तियों विशेषकर छात्रों, अभिभावकों, अध्यापकों, प्रशासकों तथा समाज के लिए मूल्यांकन का अत्यन्त महत्व है।
  2. मूल्यांकन के द्वारा ही छात्रों को अपनी शैक्षिक प्रगति का ज्ञान होता है। इससे उनमें प्रेरणा, आत्मसंतोष, आत्मविश्वास, आगे बढ़ने की हिम्मत उत्पन्न होती है तथा साथ ही साथ अपनी कमियों की जानकारी भी मिल जाती है जो उन्हें भविष्य में अथक परिश्रम करने की प्रेरणा देती है।
  3. मूल्यांकन का अध्यापकों के लिए भी बहुत महत्व है इसके द्वारा वे अपने शिक्षण की सही जानकारी प्राप्त करके उसमें सुधार करते हैं।
  4. मूल्यांकन के द्वारा अध्यापकगण पाठ्यक्रम, शिक्षणविधि, पाठयोजना, शिक्षण सामग्री आदि की प्रभावशीलता जानते हैं, और समय-समय पर आवश्यकता के अनुरूप संशोधन करते हैं।
  5. मूल्यांकन की सहायता से अध्यापक बच्चों की रुचियों, योग्यताओं, क्षमताओं, व्यक्तित्व, सामर्थ्य, कमियों आदि को पहचानकर उन्हें उचित मार्गदर्शन करते हैं।
  6. मूल्यांकन शिक्षा के सुधार तथा गुणवत्ता उन्नयन में सहायक होता है।
  7. मूल्यांकन उचित शैक्षिक निर्णय लेने के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
  8. मूल्यांकन से शिक्षाशास्त्री, प्रशासक, अध्यापक, छात्र तथा अभिभावक शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति सीमा को जान सकते हैं।
  9. मूल्यांकन शिक्षण के उद्देश्यों को स्पष्ट करता है। छात्रों को अध्ययन के लिये प्रेरित करता है।
  10. मूल्यांकन के आधार पर पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों, सहायक सामग्री आदि में आवश्यक सुधार किया जा सकता है।
  11. मूल्यांकन कक्षा शिक्षण में सुधार लाता है। अध्यापक को अपनी कमी ज्ञात हो जाती है जिससे वह अपने शिक्षण को अधिक सुसंगठित बनाता है।
  12. मूल्यांकन के आधार पर छात्रों को शैक्षिक तथा व्यावसायिक निर्देशन दिया जा सकता है।
  13. मूल्यांकन से छात्रों की रुचियो, अभिरुचियों कुशलताओं, योग्यताओं, दृष्टिकोणों एवं व्यवहारों का ज्ञान सम्भव होता है।
  14. मूल्यांकन से विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों की उपयोगिता का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

मूल्यांकन की प्रविधियाँ और मूल्यांकन के प्रकार की पूरी जानकारी

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