बाल विकास की परिभाषा एवं विकास को प्रभावित करने वाले कारक

इस पोस्ट में हम बाल विकास क्या है और विकास को प्रभावित करने वाले कारक के बारे में बताएंगे। साथ ही साथ जानेंगे बाल विकास का अर्थ क्या है? बाल विकास की अवस्थायें कोन-कौन सी हैं? बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाओं की परिभाषा क्या है? बाल विकास से सीटेट, यूपीटेट और अन्य राज्यों की प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूंछे जाते हैं।

बाल विकास क्या है :-

◆ बच्चे के जन्म से लेकर किशोरावस्था के बाद बच्चे में हुए परिवर्तन को बाल विकास के रूप में जाना जाता है बाल विकास में बच्चे के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक परिवर्तनों के बारे में बात की जाती है। विकास एक सतत प्रक्रिया है जो भ्रूण से लेकर जीवन के अंत चलती रहती है। लेकिन बाल विकास में हम केवल बच्चे के जन्म से लेकर और किशोरावस्था तक की बात करते हैं।

हरलॉक के अनुसार विकास की परिभाषा :-

हरलॉक ने विकास को परिभाषित करते हुए कहा है कि विकास केवल अभिवृद्धि तक ही सीमित नहीं है विकास एक व्यवस्थित रूप में होने वाला परिवर्तन है। हरलॉक विकास के बारे में कहते हैं कि विकास में होने वाले इस परिवर्तन के बारे में कहते हैं कि यह जीवन में लगातार और मृत्यु तक होता रहता है। हरलॉक के अनुसार विकास के अंतर्गत कई चींजे शामिल हैं जिनकी सूची नीचे दी गई है-
1. शारीरिक विकास
2. क्रियात्मक विकास
3. मानसिक विकास
4. संवेगात्मक विकास
5. सामाजिक विकास
6. नैतिक विकास
7. सृजनात्मक विकास
8. सौंदर्य विकास

विकास की अवस्थायें :-

विभिन्न विद्वानों ने विकास की अलग-अलग अवस्थाएं बताएं हैं जिनमें से कुछ नीचे दी गई हैं :-

रोस के अनुसार :-

(1) शैशवकाल (1 से 3 वर्ष तक)
(2) पूर्व-बाल्यावस्था (3 से 6 वर्ष तक)
(3) उत्तर- बाल्यावस्था (6 से 12 वर्ष तक)
(4) किशोरावस्था (12 से 18 वर्ष तक)

जोन्स के अनुसार :-

(1) शैशवावस्था (जन्म से 5 वर्ष)
(2) बाल्यावस्था (5 वर्ष से 12 वर्ष)
(3) किशोरावस्था (12 वर्ष से 18 वर्ष)

हरलोक के अनुसार :-

(1) गर्भावस्था (गर्भधारण से जन्म तक)
(2) नवजात अवस्था (जन्म से 14 दिन तक)
(3) शैशवावस्था (14 दिन से 2 वर्ष)
(4) बाल्यावस्था (2 वर्ष से 11 वर्ष)
(5) किशोरावस्था (11 वर्ष से 21)

बाल विकास की प्रमुख अवस्थाएं निम्नलिखित है :-
● शैशवावस्था (0 सेे 5 वर्ष)
● बाल्यावस्था (5 सेे 12 वर्ष)
● किशोरावस्था (12 सेे 18 वर्ष)

शैशवावस्था की परिभाषा :-

वैलेंटाइन के अनुसार शैशवावस्था सीखने का सबसे अच्छा समय है।

वाटसन के अनुसार शैशवावस्था में सीखने की क्षमता और सीखने की गति गाने किसी अवस्था में सीखने की क्षमता और गति से अधिक होती है।

थार्नडाइक के अनुसार 3 से 6 साल का बच्चा आधे सपने में रहता है।

बाल्यावस्था की परिभाषा :-

रॉस के अनुसार बाल्यावस्था बच्चे की संवेगात्मक विकास की अनोखी अवस्था है।

फ्राइड के अनुसार बाल्यावस्था बच्चे के पूरे जीवन के निर्माण काल की अवस्था है।

किशोरावस्था की परिभाषा :-

रॉस के अनुसार किशोरावस्था शैशवावस्था की पुनरावृत्ति है।

कॉल सैनिक के अनुसार किशोरावस्था में बच्चे अपने से बड़ों को अपने मार्ग में बाधक डालने वाले मांगते हैं।

किलपैट्रिक के अनुसार किशोरावस्था जीवन की अन्य अवस्थाओं में से सबसे कठिन अवस्था है।

स्टैनले हॉल ने किशोरावस्था को पूरे जीवन काल की सबसे संघर्ष और तनावपूर्ण अवस्था कहां है।

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बाल विकास और विकास से संबंधित प्रमुख बिंदु :-

● विकास एक व्यापक प्रकिया के रूप में स्वीकार किया जाता है जिसका प्रमुख अंग बाल बिकास एवं वृद्धि को माना जाता है।

● विकास निरन्तर चलने चाली प्रकिया हैं जो कि भ्रूणावस्था से लेकर जीवन भर चलती रहती है।

● विकास एक प्रगतिशील प्रकिया है इसमें सदैव प्रगतिशील एवं सकारात्मक गतिविधियों को सम्मलित किया जाता है।

● विकास एक सकारात्मक एवं सुधारात्मक प्रकिया है इसमें सदैव सकारात्मक तरीकों का उपयोग करके सुधार किया जाता है।

● विकास की प्रक्रियाओं का अनुसरण किसी लक्ष्य को प्राप्त करने कं लिए किया जाता है।

● विकास के अन्तर्गत नये तरीके, नियमों और विशेषताओं के बारे में सीखा जाता है।, जैसे व्यवहार सम्बन्धी कौशलों का विकास।

● विकास में संश्लेषण एवं विश्लेषण की प्रकिया का अनुकरण करके एक निश्चित नियम एवं सिद्धान्त तक पहुंचने का प्रयास किया जाता है।

● विकास एक अनिवार्य प्रकिया है जो रूप में सम्पन्न होती है।

● विकास एक व्यावहारिक प्रकिया होती है, जिसमें संघर्ष, तर्क और सोच के माध्यम से नाना प्रकार के व्यवहारों में प्रकट होती है।

● विकास के अन्तर्गत कई तरह की प्रक्रियाएं होती हैं, जिसमें हर प्रक्रिया को करने के लिए अलग अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

विकास को प्रभावित करने वाले कारक :-

● परिवार का वातावरण विकास की प्रकिया पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालता है, यह प्रभाव सकारात्मक या नकारात्मक किसी भी प्रकार का हो सकता है जो कि परिवार के वातावरण पर निर्भर करता है।

● विद्यालय की व्यवस्था और विद्यालय की गतिविधियां विद्यार्थियों के विकास पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रभाव डालती हैं।

● बालक के विकास में उसके आर्थिक स्थिति और सामाजिक परिवेश का भी प्रभाव पड़ता है।

● वंशानुक्रम का प्रभाव भी बच्चों के विकास में पड़ता है, मतलब विकास अनुवांशिक के हिसाब से भी बदल सकता है।

● बच्चों के विकास में उसके शिक्षक की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का भी का प्रभाव पड़ता है, यह प्रभाव अनुकूल या प्रतिकूल किसी भी तरह का हो सकता है।

● बच्चों के आसपास के सांस्कृतिक गतिविधियां एवं माहौल का बच्चों के विकास पर अनुकूल या प्रतिकूल असर पड़ता है।

● सामाजिक माहौल भी बच्चों के विकास में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

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