अपनी-अपनी बीमारी – हरिशंकर परसाई

अपनी-अपनी बीमारी, हरिशंकर परसाई जी द्वारा रचित एक व्यंग रचना है। हरिशंकर परसाई भारतीय हिंदी साहित्य के महान व्यंग्यकार लेखकों में से एक माने जाते हैं। हरिशंकर परसाई ने ‘अपनी-अपनी बीमारी’ नामक इस व्यंग्य रचना में विभिन्न प्रकार के लोगों के दुखी होने के कारणों पर व्यंग्य किया है। हरिशंकर परसाई कहते हैं कि कोई …

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ठिठुरता हुआ गणतंत्र – हरिशंकर परसाई

गणतंत्र दिवस हमेशा ठंड में पड़ता है। पर इस वाक्य को और सही से कहा जाए जिससे देशहित हो तो कहेंगे कि ठंड हमेशा गणतंत्र दिवस में आती है। चलिए यूँ कहें कि गणतंत्र दिवस ठिठुरता रहता है। हरिशंकर परसाई जी ने इसी ठिठुरता हुआ गणतंत्र पर एक व्यंग्य लिखा है। इस आर्टिकल में हम …

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पिटने-पिटने में फर्क – हरिशंकर परसाई

परसाई जी की यह ख़ूबी है कि वो हर चीज़ पर व्यंग्य लिख देते थे। उन्हें गलत बात बर्दाश्त नही थी या फिर यूँ कहें कि वो समाज को जागरूक करने हेतु हर गलत बात व्यंग्य रूप में लिख देते थे। उनका “पिटने-पिटने में फर्क” नामक व्यंग्य इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। परसाई जी …

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क्रांतिकारी की आत्मकथा – हरिशंकर परसाई

एक क्रांतिकारी की आत्मकथा – हरिशंकर परसाई : क्रांति क्या होती है? क्रांति किसी शोषण और अन्याय के प्रति विद्रोह को कहा जाता है। और यह विद्रोह ज़रूरी नही हिंसात्मक ही हो। क्रांति कई तरीके से की जाती है। इसके लिए अंग्रेजी में रेवोल्यूशन शब्द का प्रयोग किया जाता है। कई देशों में क्रांतियां हुई …

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